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मानव स्तन के दूध में लेड की मात्रा को देखते हुवे रिकाल: बहुत ही घिनोना बाजार बन रहा मानव स्तन दूध का उत्पादन
मानव स्तन के दूध में लेड की मात्रा को देखते हुए रिकॉल बहुत ही घिनौना बाजार बन रहा मानव स्तन दूध का उत्पादन
यूनाइटेड किंगडम में मानव स्तन दूध के उत्पादों में लेड के बढे हुवे स्तर को देखते हुए नियोकेयर न्यूट्रिशन ने सभी उत्पादों को वापस ले लिया है।
फर्म ने लोगों को मानव स्तन का दूध ऑनलाइन बेचा। कंपनी द्वारा आपूर्ति किए गए 13 अस्पतालों में से सात ने उत्पाद का उपयोग किया गया था । कुछ अस्पतालों द्वारा प्रीमैच्योर शिशुओं को नैदानिक परीक्षण के हिस्से के रूप में या पोषण के वैकल्पिक स्रोत के रूप में एक उत्पाद दिया गया था।
खाद्य मानक एजेंसी (एफएसए) और ट्रेडिंग मानक यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि लेड (शीशे ) का ऊंचा स्तर कैसे हुआ। सीसा एक धातु है जो पर्यावरण में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है और मिट्टी और पानी में होने के कारण खाद्य पदार्थों में निम्न स्तर पर मौजूद होता है।लेड (सीसे )का मानव स्तन दूध में मिलना जाँच का विषय है। और जाँच एजेंसियाँ अब जाँच कर रही है।
भारत में मानव स्तन दूध बेचने पर पाबंदी है। लेकिन मानव स्तन दूध बैंक जरूर है। जहां वो महिलाये जो किसी कारणवश अपने बच्चे को दूध नहीं पिला रही या बच्चे की जरूरत से ज्यादा दूध बन रहा हो तो अपना दूध मानवता के आधार पर इन दूध बेंको में जमा करवा सकती है। इंसान कितना क्रूर और अनैतिक हो सकता है। ये आप मानव स्तन दूध के व्यवसाय और व्यापार को देख कर कर सकते है।
मानव स्तन दूध बेचने वाली कंपनी मानव दूध को एक सुपर फूड के रूप में प्रचारित करती है। जिसको कैंसर के मरीजों या किसी विशेष बीमारी एंटी एजिंग और यहाँ तक की जिम जाने वाले बॉडीबिल्डर तक को बेच रही है।जब इतनी भारी मात्रा में मानव स्तन दूध की मांग है तो इसकी आपूर्ति कैसे होती होगी ? जाहिर है मानव स्तन दूध पाने के लिए इन्सानी माताओ का ही इस्तेमाल होता है।भारतीय एनआरआई को छोड़ कर देशी भारतीयों को जानकर आश्चर्य होगा की अफ्रीका के और गरीब देशो में ऐसी मानव दूध बेचने वाली कम्पनीय गरीब माँओ का दूध खरीदती है। तथा हार्मोन थेरेपी द्वारा लम्बे समय तक और ज्यादा मात्रा में दूध बनाने के लिए दवाओं का उपयोग होता है।जैसा की भारत में मवेशियों के साथ किया जाता है।
गरीब देशों में हार्मोन दे कर किसी ऐसी महिला से भी दूध निकला जा सकता है। जो एक बार माँ बन चुकी है। इन्हीं कारणों से भारत सहित कई देशों ने मानव स्तन दूध की बिक्री प्रतिबंधित है। और सिर्फ मानव दूध बैंक तक ही इसे सीमित किया गया है। गौरतलब है कि पिछले 70 -80 सालो से हमने चिकित्सीय क्षेत्र में जैसे जैसे तकनीकी स्तर प्राप्त किया है।वैसे वैसे मानवीय नैतिकता का पतन भी हुवा है। किसी एक धनवान की जान बचाने के लिए कितने ही गरीबो को लालच या धोखे से मृत्यु के समीप ले जाया जा रहा है।फिर भी मृत्यु अटल है।