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ब्राजीलियन वैज्ञानिको ने कीटनाशक की मात्रा बताने वाला यंत्र विकसित किया
जल्दी ही बाजार में उपलब्ध हो सकता है
खाद्य व्यापार में मिलावट होना एक बहुत बड़ी समस्या रही है। जिसका पता लगाने के लिए कई तरह की विधी व सिद्धांत व मशीन है। लेकिन ताजे फल-सब्जी की खेती व रक्षण में काम लिए गए कीटनाशक व प्रतिबंधित खतरनाक केमिकल के उपयोग को लेकर अब तक कोई उपकरण बाजार में मौजूद नहीं था। खतरनाक केमिकल्स का पता लगाने के लिए प्रयोगशालाओ पर ही निर्भर रहना पड़ता था। इस प्रक्रिया में ही इतना समय लग जाता था जितने में बाजार से सम्बंधित फल या सब्जी बिक जाती थी।
साओ पाउलो विश्वविद्यालय (यूएसपी)कीटनाशक की मात्रा बताने वाला यंत्र के शोधकर्ताओं ने एक क्राफ्ट पेपर-आधारित इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसर उपकरण विकसित किया है जो फलों और सब्जियों में कीटनाशकों व फफूंदीनाशको के होने का पता लगा सकता है।
यह डिवाइस बिलकुल किसी ग्लूकोमीटर की तरह ब्लड ग्लूकोस को नापने वाले घरेलू उपकरण की तरह ही बहुत ही सस्ते में व तुरंत कीटनाशक की उपस्थिति का पता लगा सकता है।
इस उपकरण में कार्बन स्याही के साथ संशोधित एक पेपर सब्सट्रेट होता है जो कार्बोक्सिल समूहों को सक्रिय करने के लिए एक एसिड माध्यम में विद्युत रासायनिक उपचार के लिए प्रस्तुत किया जाता है जिससे पता लगाना संभव हो जाता है।
कार्बन-संवाहक स्याही को क्राफ्ट पेपर की एक पट्टी में स्थानांतरित करने के लिए सिल्कस्क्रीन प्रक्रिया का उपयोग करते हैं, ये इलेक्ट्रोकैमिस्ट्री पर आधारित एक उपकरण है। इसमें तीन कार्बन इलेक्ट्रोड होते हैं और कार्बोक्सिल समूहों को सक्रिय करने के लिए एक अम्लीय घोल में डुबोया जाता है। दूसरे शब्दों में, कार्बन इलेक्ट्रोड की संरचना में ऑक्सीजन परमाणु जोड़े जाते हैं।
“जब यह कार्बेन्डाजिम से दूषित नमूने के संपर्क में आता है, तो सेंसर एक विद्युत रासायनिक ऑक्सीकरण प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है जो कवकनाशी का पता लगाने की अनुमति देता है। कार्बेन्डाजिम की मात्रा विद्युत प्रवाह के माध्यम से मापी जाती है।
यह नवाचार “वास्तविक समय” में काम करता है। एक उदाहरण के रूप में एक सेब या गोभी का उपयोग करके, डिवाइस कार्बेन्डाजिम का पता लगा सकता है। ऐसे किसी भी तजा फल या सब्जी में छोटा सा कट लगा कर उसके अंदर व बाहर लगे जहर ( किट-फफूंदनाशक ) आदि का तुरंत पता लगा कर फल या सब्जी को तुरंत बाजार से हटाया जा सकता है। जिससे कई लोगो को स्वास्थ्यहानी से बचाया जा सकता है।
हालाँकि अभी यह प्रायोगिक स्तर पर ही है। लेकिन जल्दी ही दुनिया भर के सुपर मार्किट , माल व सब्जी मंडियों में इसका उपयोग शुरू हो जायेगा। भारत में यह उपकरण कब तक आएगा कहा नहीं जा सकता है।
फ़ूडमेन टिप्पणी
ये भी हो सकता है। की किसी न किसी कारण से या इसे बेकार बताकर इसको आम जनता की पहुंच में आने से भी रोक दिया जाये। क्यों की यह सीधे सीधे अरबो के गैरकानूनी कीटनाशकों व फफूंदनाशी तत्वों के उपयोग की कलई खोल सकता है।जिसका निर्माण बड़े बड़े व्यापारिक घराने मेट्रिक टनो में करते है। और साठगांठ मिलीभक्ति के चलते अनेक देशो में मुनाफा कमा रहे है। आज भी कई प्रतिबंधित रसायन व केमिकल सब्जियों व फलो को ताजा रखने व दिखने के लिए काम में लाये जाते है। जो की मनुष्यो के साथ साथ पर्यावरण के लिए भी एक बड़ा खतरा है।