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भीगता भारत और भीगता सिस्टम का अनाज

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भारत में लगभग हर मानसून या बेमौसम बरसात में खड़ी फसलों का नुख्सान तो होता ही है। लेकिन साथ में सरकारी अनाज भण्डारण के भण्डारो में भी उचित रख रखाव के आभाव में हर साल करोडो का धान ,अनाज,दाल आदी बर्बाद हो जाते है।  “गोदामों में सड़ता अनाज और सिस्टम ” लेख में फ़ूडमेन ने जिक्र किया था की किस तरह से भारत जैसे देश में अनाज की बेकदरी हो रही है।
इस आशय से सरकारी वेबसाइट और इंटरनेट पर छानबीन करने पर भी 2021 व अब तक 2022 के कोई आंकड़े सामने नहीं आये है। लेकिन कुछ खबरों ने जरूर ध्यान आकर्षित किया है। असम में बाढ़  के हालत पर थोड़ा बहुत मिडिया कवरेज रहा है लेकिन बाढ़ की वजह से खड़ी फसलों के साथ साथ सारांशित अनाज और अनाज के गोदामों के हाल का आप अंदाजा लगा सकते है। वही राजस्थान के बूंदी में भी बारिश के पानी की वजह से एफसीआई के गोदामों में रखा 36 करोड़ का अनाज सड़ने का अंदेशा जताया जा रहा है। क्रमशः यही हाल हर मानसून में सरकारी गोदामों में करोडो का अनाज सड़ जाता है।

जिस सहूलियत से सरकारे जनता पर टैक्स का बोझ डाल देती है। उसी सहूलियत के विपरीत विभागों में जिम्मेदारी का बोझ डाला जाये तो जितना पैसा बचता है। उतना नए लगे टैक्स से दोगुना हो सकता है।
एक जिम्मेदार सरकार के लिए जिम्मेदार नागरिक और जिम्मेदार मतदाता होना बहुत जरुरी है। ताकि सरकार पैसा कमाने के लिए आसान टेक्स वसूली को छोड़ कर जिम्मेदारी और सूझबूझ से पैसा बचाने का काम कर सके। “होने को मुकम्मल जन्नत भी है जहाँ में ग़ालिब। दिल बहलाने के लिए ख्याल अच्छा है।  बरहाल हर साल मानसून में करोडो की कीमत का अनाज लापरवाही और मुनाफाखोरी की भेंट चढ़ जाता है। फ़ूडमेन अपनी जिम्मेदारी समझते हुये  हर साल ऐसे ही समाचारो की तरफ आपका ध्यान आकर्षित करता रहेगा।

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