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बेंजीन के खतरे और खतरनाक सरकारी मौन

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इसी हफ्ते  अमेरिकी खाद्य एवं औषधि विभाग द्वारा डोव ड्राई शैम्पू व ट्रेसेमी ड्राई शैम्पू में बेंजीन की निर्धारित मात्रा से अधिक मात्रा पाये जाने पर बाजार से वापस करवा दिया गया है। जिसको लेकर भारतीय मीडिया में व प्रिंट मीडिया ने अपने अपने स्तर पर खबर को प्रचारित व प्रसारित किया गया।ऐसा बहुत कम ही देखा गया है।

डोव  ड्राई  शेम्पू और ट्रेसेमी ड्राई शेम्पू का बाजार भारत में नाम मात्र का ही है जो की बड़े मॉल और ऑनलाइन बाजार में उपलब्ध है। ये ड्राई शेम्पू आप तौर पर सेलेब्रिटीज का जिम कल्चर और सोशल मिडिया में डाली जाने वाली फोटो और वीडियो प्रसारण में खुद को अच्छा दिखाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जिसका बाजार अमेरिका में भी बहुत ज्यादा नहीं है। लेकिन इस समाचार में बेंजीन जैसे तत्व को ही लक्षित किया गया है।

वास्तव में बेंजीन  पेट्रोलियम आधारित कई ऐसे उत्पाद है जो कैंसर का कारण बनते है। जिनमे सबसे ज्यादा सुगंध और महक के लिए इस्तेमाल होने वाले उत्पाद है। विशेष कर परफ्यूम ,डिओडरेंट,व सौन्दर्य प्रसाधनों में इस्तेमाल होने वाली क्रीम व लोशन में खुशबू बनाये रखने इन तत्वों का उपयोग किया जाता है।प्लास्टिक उद्योग में भी बेंजीन का बनाना एक स्वभाविक प्रक्रिया है।तथा प्लास्टिक बोतल में बंद  कोल्ड ड्रिंक या कोई  भी तरल पदार्थ या खाद्य पदार्थ प्लास्टिक के गर्म होने पर बेंजीन तत्व से दूषित हो सकता है। मार्च 2006 ब्रिटेन की खाद्य सुरक्षा एजेंसी ने 150 शीतल पेय के ब्रांडो की समीक्षा में सीमा से अधिक बेंजीन होने की स्थिति में प्रभावित ब्रांडो के बेच को बाजार से वापस ले लिया गया था।

भारतीय बाजार और समाज में देखा जाये तो बेंजीन तत्व की प्रचुर मात्रा साधारण से उच्च वर्ग के घरो में आसानी से मिल जाएगी।पानी ,ज्यूस ,और तरल खाद्य पदार्थों में ,सौन्दर्य प्रसाधनों में ,दीवारों के पेंट ,साफ सफाई के रसायन , प्लास्टिक के खिलौने आदि में बेंजीन का होना आम बात है। लेकिन आम लोगों में इसकी जानकारी नहीं है। हर देश में बेंजीन लेकर अलग अलग सीमा निर्धारित है। यानी की सरकार और प्रशासन द्वारा ही तय किया जाता है। की जनता को कितना कैंसर देना है। भारत जैसे विकासशील देश में जहा जनता को सही से उत्पाद का लेबल और उस पर लिखी जानकारी समझ में नहीं आती। विडंबना ये है की सिर्फ अनपढ़ ही नहीं स्नातक  हो चुके युवाओ को भी उत्पाद के लेबल पर छपी जानकारी समझने में दिक्कत आती है।

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वहा पर बेंजीन के नुख्सान को लेकर ज्ञान तो दिया जा सकता है। लेकिन बेंजीन की व्यापकता पर शिक्षित नहीं किया जा सकता  है।बेंजीन से जरुरी नहीं की कैंसर ही हो। इससे एलर्जी या कोई और तरह के श्वास सम्बन्धी या रक्त सम्बन्धी ,अंग विशेष को नुख्सान आदि भी हो सकते है।सबसे ज्यादा बेंजीन का उत्सर्जन  धूम्रपान और सड़को पर दौड़ती गाड़ियों के धुवे ,कचरे के धुवे आदि से होता है। यहाँ तक की प्रोसेस फ़ूड में और कई तरह की दवाओं में भी बेंजीन पाया जाता है।

आज भारतीय समाज में बेंजीन की व्यापकता और बेंजीन जैसे कई तत्वों की भरमार है ,जिनसे किसी भी रूप से बच पाना संभव नहीं है। ऐसे में किसी देश की सरकार द्वारा निर्धारित बेंजीन की मात्रा से अधिक के उत्पादों को बाजार से हटा लेना मिडिया के लिए  सनसनीखेज समाचार तो हो सकता है। लेकिन इस समाचार का फर्क जनता और सरकार की नीतियों पर कब पड़ेगा ये देखना होगा।याद रखिये स्वास्थ्य बीमा से आप का स्वास्थ्य नहीं बल्कि बीमार होने के बाद स्वस्थ होने के खर्चे को बीमित किया जाता है।और एक बीमारी का इलाज ही दूसरी बीमारी का स्वागत करता है। इसलिए अपने लिए अपनी भी जिम्मेदारियां आप ही को तय करनी पड़ेगी।

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