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चावल के मुरमुरे ,भारतीय खाद्य संस्कृति और विज्ञान का अनोखा उदाहरण। 

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मोटापे की समस्या में महत्वपूर्ण भूमिका में चावल के मुरमुरे। 

चावल के मुरमुरे खाने के फायदे 

चावल के मुरमुरे (Puffed rice )भारत के अलग अलग राज्यों में अलग अलग नाम से जाने जाते है। और पुरे विश्व में इनको खाया जाता है। यहाँ तक की कुछ पूजा पाठ आदि में इसको प्रसाद के रूप में भी मुरमुरे का वितरण होता है। मुरमुरे चावल को गर्म नमक में भून कर चावलों के फूलने तक भुना जाता है।

साधारण से दिखने वाले मुरमुरो में भरपूर लौह तत्व ( Iron )होता है। सिर्फ 100 ग्राम मुरमुरे में 30 से 32 मिलीग्राम, लौह तत्व 110

 मिलीग्राम पोटेशियम  और 3 मिलीग्राम सोडियम होता है। तथा फेट मात्र आधा ग्राम ही होता है। इसलिए यह नाश्ते और स्नेक्स के लिए बेहतरीन विकल्प है। साथ ही वजन कम करने और भूख कम करने के लिए भी एक अच्छा आहार है।मुरमुरे न सिर्फ भूख को कम करते है। बल्कि पेट को भी अल्प मात्रा में होते हुवे भी भरा होने का अनुभव देते है।

जिससे वजन कम करने के आहार में इसका उपयोग एक असरकारक भोजन के रूप में किया जा सकता है।  लेकिन बाजारवाद के चलते इन सस्ते चावल के मुरमुरे  की जगह दवाइयों और डिजाइनर खाद्य पदार्थों ने अपनी जगह बनायी  हुयी  है। चावल के मुरमुरे न सिर्फ सस्ते स्नेक्स है बल्कि चावल के मुरमुरे  में फाइबर अच्छी मात्रा में होते है। इसलिए कब्ज वाले मरीजों के लिए भी यह बहुत गुणकारी हो सकती है।

मुरमुरे हमारे अनाज खाने की शुरुवात से ही हमारे साथ है। आज के दौर में मुरमुरे मात्र भेलपुरी और कुछ नमकीन तक ही सिमट कर रह गया है। अभी भी कुछ ग्रामीण स्थानों पर मुरमुरे के लड्डू और कई तरह के मीठे स्नैक्स खाये जाते है। चावल के मुरमुरे से बच्चो के लिए कई तरह से स्नेक्स और चाय के साथ खाने के व्यंजन आपको इंटरनेट पर मिल जायेंगे।

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मुरमुरे या पफ्ड (फुले) अनाज संभवतः अनाज खाने के सबसे शुरुआती शुरुवात में से एक माना  जा सकता है। शुरुवाती इंसान ने जब आग की खोज कर मांस को पकाना सीख लिया था।

तब आग जलने के लिए आसपास के घास का उपयोग किया होगा। और यही घास के बीजो में तापमान की वजह से पफ्ड ( या फुले ) बने होंगे और इंसानो ने मांस के साथ साथ चावल या मक्की , गेंहू के फुले पहली बार खाये होंगे जो उनके अनाज के प्रति आकर्षण बढ़ाने का काम किया होगा।  और इसी तरह इंसानो ने अनाज के व्यंजन और अनाज उगाने के लिए विकास की और अग्रसर हुवा होगा।और आज हमारे पास सेंकडो की तादाद में कृषि योग्य फ़सलें है। जो अरबो इंसानो का पेट भर रही है।

इंसान में सबसे पहले किस अनाज के फुले ( पफ्ड ) खाये होंगे यह शोध और बहस का हिस्सा हो सकता है।  लेकिन इस लेख में पफ्ड चावल या ( फूले ) के बारे में जानकारी दी जा रही है। 

मुरमुरे समय के साथ साथ रसोई से दूर होते जा रहे है।जिसका एक मुख्य कारण इससे बनने वाले उत्पाद को औद्योगिक रूप में मान्यता नहीं मिलना है।तथा इनके ओधोगिक रूप से बाजार में नहीं आने का कारन इनका सस्ता होना व भारतीय संस्कृति से सीधा जुड़ा होना भी है। जिसके चलते बहुराष्ट्रीय कम्पनीज चावल के मुरमुरे बेचने से परहेज करती है।  स्वस्थ्य के साथ साथ आप इसे कभी भी किसी भी वक़्त खा सकते है। वजन कम करने वाले भी इससे अपनी भूख को नियंत्रण में रख सकते है।

 फ़ूडमेन अपने नियमित स्तम्भ ” स्वास्थ्य और जीवनशैली “में स्वास्थ्यवर्द्धक तथा सेंकडो सालो से हम भारतीयों के खानपान और उनकी उपयोगिता के बारे में बताया जा रहा है।

जो आज के दौर में लगभग भुला ही दी गई है। या मात्र किसी त्यौहार और पर्व तक सिमित हो चुकी है। जबकि इनको दैनिक जीवन में उपयोग कई प्रकार से उपयोगी और महत्वपूर्ण है।तथा कई बीमारियों के इलाज व इलाज के दौरान इनका उपयोग बहुत ही लाभदायक हो सकता है। बस आपका चिकित्सक भारतीय व्यंजन और अनाज की संस्कृति के बारे में जनता हो। 

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