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अमूल मिष्ठी दही के लिए  ठेके पर दी गई  फैक्ट्री  का बंगाल में  कारनामा .

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अमूल  मिष्ठी दही  के संदूषण से हुई उपभोक्ताओं को स्वास्थ समस्या 

बंगाल ,बर्दमानके पूर्व बर्दमान जिलों के दो अलग अलग ब्लॉग जनवरी 2024  में फ़ूड पॉइज़निंग फैलने की सूचना के बाद प्रशासन द्वारा जाँच परिणाम के बाद प्रसिद्ध अमूल मिष्टी दही की बिक्री पर रोक लगाने के आधिकारिक आदेश जारी किये गए। प्राप्त जानकारी के अनुसार अमूल मिष्टी दही अपने सहयोगी इंडियन डेयरी प्रोडक्ट्स लिमिटिड से अपने उत्पाद बना कर अमूल मिष्टी दही केनाम से बंगाल ,बिहार आदि के बाजार में बेचती है। 

बाकुड़ा स्थित इंडियन डेयरी प्रो। लि। के प्लाट में बने अमूल मिष्टी दही के बेच नंबर KPD 3653 को प्रशासनिक अधिकारी डिप्टी सीएमएचओ सवर्ण गोस्वामी ने तुरंत 8 जनवरी 2024 को  आदेश जारी कर अमूल मिष्ठी दही की बिक्री पर रोक लगा कर दूषित दही को नष्ट करने के आदेश दिए है। हालाँकि यह पहली घटना नहीं है।

इससे पूर्व भी  गुजरात के कच्छ में अमूल की ही एक सहायक कम्पनी सरहद डेयरी द्वारा उत्पादित दही खाने से कच्छ 600 से अधिक लोग बीमार हो गए ,इतनी बड़ी लेकिन राजनीती और बड़े व्यापारिक समूह होने के साथ साथ मुख्य धारा मीडिया में विज्ञापन दाता होने की वजह से अमूल के सम्बन्ध में नेगेटिव खबरे आम लोगो तक पहुंच ही नहीं पाती है सिर्फ जुर्माने के नाम पर उगाही कर ली जाती है।

 दरअसल  उसके अधिकतर मिल्क प्लांट भाड़े पर संचालित होते हैं। अमूल अपनी थैली के रोल और पैकिंग  को  थर्ड पार्टी प्लांटों में  भेजता है। इस प्रकार के अनुबंध से  विभिन्न उत्पादों को पूरे देश में अमूल ने प्रदेशों के  लोकल सहकारी ब्रांडों को खुली चुनौती पेश कर दी है।

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अमूल भारत का एक सम्मानित और लोकप्रिय दूध उत्पादों की सहकारी संस्थान है जो अब भारत की सबसे बड़ी दूध उत्पाद कम्पनी बनचुकी है।दरअसल में बड़े मिल्क प्लांट  और मिल्क केरिंग ट्रक्स में अक्सर साफ सफाई व सनेटाइजेशन के आभाव कई तरह के बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते है। जिसके चलते  फ़ूड पॉइज़निंग व संक्रमण होना स्वाभाविक है। कई बड़े दूध प्रोसेसिंग के प्लांट लागत  को काम करने  लिए सेनेटाइजेशन की प्रक्रिया  को कम कर देते है जिसके चलते दूध व दूध उत्पादों में खाद्य संक्रमण हो जाता है।

हर साल केंद्र की सर्वोच्च संस्था FSSAI दूध व दूध उत्पादों के के नमूनों का परीक्षण किया जाता है। हालाँकि इसमें कई बार बड़े ब्रांडो को छुपा दिया जाता है। लेकिन अधिकतर नमो को सार्वजानिक किया जाता है। और जुर्माना वसूल कर के एक बार फिर से अगले साल का इन्तजार किया जाता है। लेकिन न ही इन बड़े दुग्ध सहकारी कम्पनी या अन्य कम्पनियो को कोई फर्क पड़ता है और  पीड़ित को अपने ही खर्च से इलाज करवा करवाना पड़ता है। भारत में दुग्ध उत्पादन जितना होता है उससे चार गुणा मांग दैनिक है। ऐसे में आप कल्पना ही कर सकते है की दूध और दूध के उत्पादों पर आपको बेवकूफ कौन बना रहा है। 

 अमूल सारा दूध खुद उत्पादित नहीं करता और ना ही संग्रहित करता है। ऐसे में हर साल अमूल दूध व अन्य उत्पादों के फेल व अखाद्य होते हुवे भी बाजार से हटाए नहीं जाते जिसका परिणाम फ़ूड संक्रमण फ़ूड पॉइज़निंग और मौत भी हो सकती है।

 अमूल सारा दूध खुद उत्पादित नहीं करता और ना ही संग्रहित करता है। ऐसे में हर साल अमूल दूध व अन्य उत्पादों के नमूने फेल व अखाद्य होते हुए भी बाजार से हटाए नहीं जाते ।उक्त केस में रिकॉल के बारे मे जानकारी अभी तक उपलब्ध नहीं हो पायी है। जिला प्रशासन ने केवल उत्पादों को नष्ट करवाया है। फूड मेन  सभी स्टोरों से अमूल के  सभी उत्पादों को  वापिस बुलाने के साथ  उक्त फैक्ट्री को सील कर कार्यवाही की सिफारिश करता है।

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1 Comment

  1. Rajendra Waman Mahale

    18 February 2024 at 2:02 pm

    Modi government is dangerous virus for people😈😈😈😈 he is dangerous for human rights Case to government👌 is dangerous virus for people😈😈💯

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