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शिशु आहार और बच्चो में प्रोसेस फ़ूड की बढती मांग

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शिशु आहार के खतरे 

अमेरिका में 5 महीने से शिशु आहार संकट  

अमेरिका में शिशु आहार संकट पिछले 5 महीने से बना हुआ  है। जिसका कारण शिशु आहार में खाद्य संदूषको की वजह से शिशु आहार का रिकॉल होना है। लेकिन क्या वास्तव में रेडीमेड शिशु आहार इतनी बड़ी मज़बूरी बन सकती है। जबकि इसको घर में ही तैयार किया जा सकता है।

शिशुओं के आहार में मौजूद नमक व चीनी को लेकर 4 अप्रैल 2023 के मोबइल एप संस्करण में एक लेख प्रकाशित किया है। जिसमे बताया गया है की शिशु आहार और छोटे बच्चो के प्रोसेस फ़ूड या पानी में घोल कर बनाये जाने वाले आहार में मौजूद नमक ,चीनी  से बच्चो को भविष्य में ब्लड प्रेशर ,डाइबिटीज ,व अन्य जीवनशैली के रोगो की तरफ अनजाने में ही सही लेकिन अभिभावक ही धकेल रहे है।

बच्चो में प्यार दुलार के नाम पर छोटे बच्चो को चॉकलेट चिप्स जैसे प्रदार्थ पहले दिए जाते है।लेकिन यही प्यार दुलार जब बच्चे की बीमारी में बदलने लगे तो एक बार इस विषय पर मनन करना जरूरी हो जाता है।

शिशु आहार जो की 6 महीने के बाद ठोस आहार के रूप में दिया जाता है। उसमें चीनी और सिंथेटिक स्वीटनर का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही इसमें नमक यानी सोडियम की मात्रा भी होती है।जिससे बच्चो में शुरू से ही चीनी और नमक के लिए आकर्षण पैदा हो जाता है।साथ ही स्वाद बढ़ाने के तत्व मिलाये जाते है। जो बच्चो को प्रोसेस फ़ूड की लत लगाने के ही  लिए मिलाये जाते है  पांच साल की उम्र तक बच्चो को प्रोसेस फ़ूड से दूर रखना चाहिए।
लेकिन दुनिया भर के शहरी व ग्रामीण ( कुछ ग्रामीण इलाको को छोड़ कर ) शिशुओं से लेकर पांच साल तक के बच्चो को उनके अभिभावकों व पारिवारिक सदस्यों द्वारा ही चॉकलेट और स्नेक्स के नाम पर ये बीमार करने के तत्वों से भरपूर चीजे खिलायी जाती रही है।
 
 हालही में बोर्नविटा हेल्थ ड्रिंक जिसे दूध में डाल कर बच्चो को पिलाया जाता है। बोर्नविटा में मिलायी गई चीनी और नमक (सोडियम) की मात्रा पर उठे सवालों को मीडिया द्वारा अनदेखा कर दिया गया है।सिर्फ कुछ लोग ही उस विडियो को देख पाये। मिडिया की अनदेखी की वजह भी जायज है।
कोई भी चैनल या अख़बार बिना विज्ञापन के नहीं चल सकता। और इसी मज़बूरी में इन उत्पादों के दुष्प्रभाव सम्बन्धी खबरों को दिखाया ही नहीं जाता या फिर बिना किसी का नाम लिए छोटे रूप में खबर दिखा दी जाती है। ये भी एक कड़वी सच्चाई है प्रोसेस फ़ूड के विज्ञापनों का लक्ष्य बच्चो और युवाओ को लुभाना ही होता है।आज के दौर में नाच गा कर कुछ भी बेचा जा सकता है। लेकिन किसी को भी बचाया नहीं जा सकता है।

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