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सिंगल यूज़ प्लास्टिक प्रतिबन्ध : अब सुनाई नहीं , दिखाई नहीं
क्या ये एक ड्रामा सिद्ध हुआ?
सरकार के ऑर्डर या नोटिफिकेशन सरकारी टॉयलेट ही साबित होते हैं। ये फिर से उसकी मशीनरी जो कि टोली बना कर छापे डालने जरूर निकली थी , उसने दुकानदारों और थोक विक्रेताओं के चालान काट के खजाने में जरूर वृद्धि की।
कोई छापा फ़ूडमेन की टीम की जानकारी में नहीं है जिसमे कि प्लास्टिक उत्पादन पर रोक लगा कर फैक्ट्री सील करवाई हो। फ़ूडमेन को बाज़ारों में फ्रूटी और अन्य टेट्रापैक उत्पादों पर प्लास्टिक पाइपर सहित विक्री होते हुए दिखे।
सब्जी बाज़ारो फलों के ठेले पर प्लास्टिक पन्नी उपयोग में ली जारी हैं, अमूल और दूध कंपनी भी खूब अपना दूध सुबह से ग्राहकों को वो ही थैली में उपलब्ध करवाता मिला। अमूल और दूसरे बड़े निर्माताओं की मांग सरकार ने 1 जुलाई की तारीख को आंगे बढ़ाने से भी माना कर दिया था।
अब ये कौन से नए नोटिफिकेशन या रियायत से बाजार में सिंगल यूज़ प्लास्टिक उत्पाद बिक रही है उसका जबाब हमें भी चाहिए।