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नकली कपूर से बने उत्पादों से जा रही आँखो की रोशनी।
नकली कपूर को आयुर्वेदिक उत्पादों में मिला कर बेचा जा रहा है।
नकली कपूर या फ़िलहाल कपूर को लेकर किसी भी तरह के कोई दिशा निर्देश नहीं है। ना ही असली कपूर के लिए ना ही नकली कपूर के लिए। ऐसे में कपूर मिश्रित उत्पादों को उपयोग लेने से पहले जाँच परख जरूर करे। बाजार के कई उत्पादों विशेष कर आयुर्वेदिक उत्पादों में धड़ल्ले से बेचे जा रहे है। अगरबत्ती बनाने के लघु उधोगो से लेकर बड़े बड़े आयुर्वेदिक कॉर्पोरेट कम्पनीज भी नकली कपूर का उपयोग करते पाये गए है।
हालही में डाबर के एक हेयर रिप्लेसर को अमेरिका और कनाडा में 5400 मुकदमो का सामना करना पड़ रहा है। जिसकी भी वजह नकली कपूर हो सकता है।
हाल ही में बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (BHU ) के न्यूरोलॉजी के प्रोफ़ेसर डॉ विजय नाथ मिश्रा द्वारा किये गए एक शोध में खुलासा किया है की ठंडा तेल या आयुर्वेदिक कपूर युक्त तेल लगाने से लोगो की आँखो की रोशनी कम हुई है।
फ़ूडमेन से हुई बातचित में डॉ विजय नाथ ने कई और चौंका देने वाले खुलासे किये। उन्होंने बताया ठंडे तेल से स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है। जिसका मुख्य कारण कपूर ही होता है।
भारत सरकार के किसी भी कार्यकारी समिति में आयुर्वेदिक उत्पादों में कपूर की मात्रा को लेकर कोई दिशा निर्देश नहीं है। जिसके चलते ठंडक और सनसनाहट के लिए कपूर का धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है।
डॉ विजय नाथ मिश्रा ने बताया की 2012-13 से ही ऐसे उत्पादों में कपूर की मात्रा आवश्यकता से अधिक होने लगी जिसके चलते कई लोगो को परेशानी का सामना करना पड़ा।पिछले दस सालो में करीब 18 हजार से भी अधिक लोगो की जाँच की जिसमे 23 से 78 साल के उम्र के लोगो शामिल थे ये वो लोग थे जो किसी न किसी रूप में कपूर का उपयोग कर रहे थे। जिसमे अव्वल सर दर्द और ताजगी के लिए ठंडा तेल ।
कपूर युक्त टूथपेस्ट ,मंजन ,व मरहम आदी उत्पाद इन लोगो द्वारा उपयोग में लाये जा रहे थे। कई नामी ब्रांड में जिनमे कपूर होने का दावा किया जाता है। वह रसायनो से बना नकली कपूर ही होता है। लेकिन द्वारा कोई भी कार्यकारी संस्थान जैसे खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ,CDSCO ( The central Drug Standard Control Organization ,India )आयुष मंत्रालय ,किसी के भी द्वारा कपूर की शुद्धता और मात्रा के बारे में कोई दिशा निर्देश नहीं है। ऐसे में डॉ विजय नाथ मिश्रा की शोध और सलाह को ध्यान में रखते हुवे कपूर मिश्रित उत्पादों का उपयोग ना करे।
कृत्रिम कपूर को समझने के लिए असली कपूर को समझना होगा। कपूर कई तरह के होते है। कपूर एक खास तरह के पेड़ की लकड़ी व पत्तो से आसवन प्रक्रिया द्वारा कपूर का तेल निकला जाता है ,तथा बाद में इसी तेल से कपूर को ठोस रूप में बनाया जाता है।प्राकृतिक कपूर में कई औषधीय गुण पाये जाते है। तथा भारत में इसे पूजा पद्धति व कई आयुर्वेदिक उत्पादों में कपूर का उपयोग किया जाता है।
कपूर जहरीला नहीं होता है। लेकिन अधिक उपयोग से कई बीमारियों को पैदा कर सकता है। दिमाग व तंत्रिका तंत्र पर इसका असर होता है। जबकि नकली या कृत्रिम कपूर जानलेवा व कैंसर कारी होता है। नकली कपूर बनाने के लिए अल्फ़ा पिनीन का उपयोग करके बनाया जाता है। जिससे डीएल आइसोबोर्नियोल बनाया जाता है। जिसका स्वभाव व खुशबु कपूर जैसी ही होती है। तथा यह असली कपूर से सस्ता भी होता है। जिससे इसका उपयोग आयुर्वेदिक उत्पादों और पूजन सामग्री में किया जाता है।
फ़िलहाल कपूर को लेकर किसी भी तरह के कोई दिशा निर्देश नहीं है। ना ही असली कपूर के लिए ना ही नकली कपूर के लिए। ऐसे में कपूर मिश्रित उत्पादों को उपयोग लेने से पहले जाँच परख जरूर करे।