समाचार (देश/विदेश)
आयरलैंड ने पशु आधारित जमे हुए आयातित भोजन उत्पादों बाजार से वापस लेने के दिए आदेश
आयरलैंड देश के नागरिकों की सुरक्षा के लिए उठाया गया सुरक्षा एजेंसी का कदम
हमारे देश भारत में खाद्य सुरक्षा को लेकर ऐसी कार्यवाही नहीं देखने को मिलती
आयरिश खाद्य सुरक्षा एजेंसी ने पशु मूल के सभी जमे हुए भोजन को वापस बुलाया (Recall ) जिन्हें मार्च की शुरुआत से आयात किया गया है।
आयरलैंड के खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण (FSAI) ने मेट्रोन स्टोर्स को आदेश दिया, जो आइसलैंड और आयरलैंड के मध्य आयात निर्यात का व्यापार करता है, उपभोक्ताओं से भी ख़रीदे उत्पादों को वापस करने के भी निर्देश दिए गए है।
आइरिश खाद्य सुरक्षा एजेंसी ने लोगों को सलाह दी है कि 3 मार्च से आइसलैंड आयरलैंड स्टोर्स से खरीदे गए किसी भी आयातित जमे हुए पशु-आधारित उत्पादों को न खाएं। पशु मूल के भोजन में चिकन, मांस, मछली, अंडे और डेयरी उत्पाद शामिल हैं।
आयरिश अधिकारियों ने आयोग को आश्वासन दिया कि उपभोक्ता सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी उपाय किए गए थे। अब तक रैपिड अलर्ट सिस्टम फॉर फूड एंड फीड (RASFF) में कोई अलर्ट जारी नहीं किया गया है जो अन्य सदस्य राज्यों को उत्पादों को वितरित किए जाने पर सक्रिय हो जाएगा। रिकॉल आयरलैंड में वितरित जमे हुए उत्पादों तक ही सीमित है।
फ़ूडमेन टिपण्णी
आयरलैंड के इन आदेशों की समीक्षा की जाये तो भारत के खाद्य आयात की हालत बुरी से भी बहुत बुरी है। भारत में हर साल मीट्रिक टन पशु आधारित खाद्य वस्तुओ का आयात होता आया है।भारत मात्र बीफ के निर्यात में ही अव्वल नहीं अपितु पशु आधारित उत्पादों के आयत में भी कई देशो से अव्वल है। जिसमे लार्ड (सुअर की चर्बी का प्रोसेस संस्करण ) टेलोव (गाय ,भैंस की चर्बी का प्रोसेस संस्करण ) अंडे का सूखा पाउडर ,दूध का सूखा पाउडर ,सूखी मछली का पाउडर ,जानवरो की हड्डियों का पाउडर आदि शामिल है।
धर्म के आधार पर यह इस देश के नागरिको के लिए आस्था से खिलवाड़ माना जा सकता है। साथ ही स्वास्थ्य की दृस्टि से भी यह खतरनाक है। इन पशु आधारित उत्पादों में खाद्य संदूषक (प्रदूषक ) बैक्टीरिया व फंगस हो सकते है। तथा गंभीर बीमारियों के वाइरस आदि भी हो सकते है। जो देश के जैविक वातावरण के लिए खतरा उत्पन्न कर सकते है। हालाँकि इन पर नियमन करने वाली सरकारी एजेंसी नियुक्त है। लेकिन उदासीन है।
जिसका सबसे बड़ा उदहारण अलवर (राजस्थान) पाया गया सोर्बिटोल है। जो नकली दूध बनाने में काम में लिया जा रहा है। भारत में अधिकतर पशु आधारित आयातित वस्तुओ का उपयोग दूध और प्रोसेस फ़ूड व दवाइयों में किया जाता है। जिनमे कभी भी मानवीय भूल देश के लिए त्रासदी बन सकती है। देश के विभिन्न राज्यों में आज भी ऐसी अज्ञात बीमारिया व बीमारियों से मरने वालो की खबरे छपती रहती है। ऐसा नहीं है की इनका सम्बन्ध आयातित पशु आधारित उत्पादों से है। लेकिन कोई ठोस कारण नहीं की इनको आयातित पशु आधारित उत्पादों से नहीं जोड़ा जाये।
फ़ूडमेन जनता से हमेशा से कहता रहा है की खाद्य सुरक्षा को भी चुनावी व राजनीती का हिस्सा बनाना ही होगा। नहीं तो खाद्य प्रदार्थो से होने वाली गम्भीर बीमारियां जल्द ही हर घर का हिस्सा होंगी।इस बात से फर्क नहीं पड़ेगा की वो घर आपका होगा या हमारा।