समाचार (देश/विदेश)
महाराष्ट्र में 10,20 लीटर पानी के जार पर अधिनियम जारी
मुम्बई
पानी के जार पर अधिनियम लाने की तैयारी की जा रही है। जिससे बेतहाशा बढ़ते पानी भरने के संयंत्रों की संख्या पर नियमन किया जा सकेगा व पानी की काला बाजारी भी कम की जा सके।
खुल्ले में 10ली 20 लीटर के जार 20 से 50 रूपए प्रति लीटर के हिसाब से बेचे जाते है। तथा यह पानी सरकारी जल या जमीन से टूबवेल के जरिए लिया जाता है।
लेकिन जार में पानी भरने के लिए नैतिक व अनैतिक रूप से भूमिगत जल विदोहन किया जा रहा है। जिससे आम लोगो में पीने के पानी की किलल्त हो रही है। वही अब घरो दफ्तरों होटल स्कूल और खाने पीने की रेहड़ी तक में जार वाला पानी पहुंच रहा है। पानी के जार में पानी की गुणवक्ता को लेकर कोई दिशानिर्देश भी नहीं है। तथा अब तक यह किसी भी तरह के नियमन में नहीं आता है। जिससे पानी से होने वाले संक्रमण व बीमारिया होने का खतरा बना रहता है।
लेकिन अब महाराष्ट्र खाद्य एवं औषधि प्राधिकरण ने इसका संज्ञान लेते हुवे अधिनियम जारी किये है। जिसके अंतर्गत सभी पानी के जार भरकर बेचने वालो का रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा। तथा समय समय पर पानी की गुणवक्ता की जाँच करनी या करवानी होगी। अधिनियम का पालन न करने व अवहेलना करने वालो पर 5 हजार का जुर्माना या 6 महीने का कारावास या दोनों ही हो सकते है।
फूडमेन टिप्पणी
जार के पानी में गुणवक्ता और नियमन के लिए ये अधिनियम स्थानीय जनता के पक्ष में है। लेकिन इन नियमो के चलते पानी के जार का भाव बढ़ सकते है। व पानी के इस व्यापार का केंद्रीय करण किया जा सकता है। यानि की प्रभावशाली लोगो के हाथ में आ सकता है जिससे पानी की बिक्री में मनमाना भाव हो सकता है। गौर करने वाली बात ये भी है की जार के पानी की शिकायत कुछ विधायकों ने की है। जिससे इस अधिनियम की मंशा को लेकर संदेह भी हो रहा है।