स्वास्थ्य और जीवनशैली

साइलेंट हार्ट अटैक

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कोविड के बाद का असर या कुछ और ?

हाल ही में साइलेंट हार्ट अटैक के मामले बढे है। खासकर की युवाओं में। युवाओं में साइलेंट हार्ट अटैक और अटैक से हुई मौतों को लेकर सोशल मीडिया बहुत सक्रिय है। और इसके पीछे कई ऐसे संगठन और संगठन से जुड़े वो लोग है जो नवाचार या आयुर्वेद के नाम पर अपनी दुकानदारी के लिए एक भ्र्म बनाने में लगे हुवे है। जो सीधे सीधे उनके उत्पादों की बिक्री और विशेषकर स्वास्थ्यवर्धक फ़ूड सप्लीमेंट की बिक्री को बढ़ावा देते है।

पिछले दो सालो में ये लोग कोविड को एक अंतरास्ट्रीय षड्यंत्र साबित किये हुये है। हो भी सकता है। लेकिन उसी कोविड के आफ्टर इफेक्ट या बचाव के लिए ये लोग अपने उत्पादों और बनावटी सिद्धांतों की बिक्री पर ही पीड़ित को लुभाने का प्रयास करते है। दरअसल में कोविड से पहले भी साइलेंट अटैक से प्रोढ़ो और युवाओ की मौत होती थी।

2017 के ही अखबारों में छपी साइलेंट हार्ट अटैक को लेकर कई राष्ट्रीय अखबारों के हेल्थ पेज में छपी रिपोर्ट पढ़ेंगे तो पायेगे की आज के हालात को लेकर पहले से कई भविष्यवाणिया और आंकड़े दिए हुये है।और उनके अंदाजे और तत्कालीन परिस्थिति में बताये जा रही आशंकाओं और वर्तमान परिस्थिति बिलकुल मेल खाती है। तब तो किसी को भी कोविड को लेकर कोई आशंका ही नहीं थी। तो कैसे आज के हालातो को कोविड से जोड़ कर सोशल मीडिया पर प्रचारित किया जा रहा है।


कई अंतरास्ट्रीय एजेंसियों ने 2014 में ही बच्चो और युवाओ के खानपान के नाटकीय बदलावों को लेकर चिन्ता जाहिर की थी। साथ ही सिर्फ ह्रदय संबंधी ही नहीं कैंसर संबंधी और डाइबिटीज सम्बन्धी आकड़े और संभावित कारणों को लेकर विस्तृत रिपोर्ट अखबारों में छपी है।
तो अब साइलेंट अटैक से हो रही मौतों को क्यों वेक्सीन से जोड़ कर देखा जा रहा है ?

हाल फ़िलहाल में सोशल मिडिया में आप ऐसे कई विडिओ और पोस्ट देख सकते है, जो पनीर टिक्का ,बूटी ,आदि नामो से कोविड की वैक्सीन को ही इन हो रही मौतों का जिम्मेदार ठहरा देते है। हो भी सकता है। फ़ूडमेन ऐसे किसी भी दावे के पक्ष या विरोध में नहीं है। लेकिन कोविड से पहले साइलेंट हार्ट अटैक हो रही मौतों पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता है।

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WHO की कई रिपोर्ट भारत में नकली दूध नकली डेयरी उत्पाद व फ़ूड सप्लीमेंट में हो रही हेराफेरी और मार्केटिंग को लेकर भारत सरकार को कई बार चेताया है।खाद्य तेलों में मसालों और आटे तक में मिलावट और खतरनाक रसायनों का उपयोग खाद्य अवयव और खेती और गोदामों में हो रहे केमिकल के उपयोग पर सोशल मीडिया भी थक चुका है ?
सिर्फ एक नया झुनझुना कोविड वैक्सीन को लेकर ही झुंझुनाया जा रहा है। असल वजह युवाओं और बच्चों में खाने पीने की गलत आदत या फिर फ़िल्मी कलाकारों जैसा दिखने के लिए कुछ भी किसी की भी सलहा या विज्ञापन देख कर खाने से जुडी है। वर्तमान में ही नहीं दो दशक पहले से जिम में हीरो जैसी बॉडी और हीरोइन जैसा फिगर पाने के लिए युवा फ़ूड सप्लीमेंट के नाम पर फ़ूड सप्लीमेंट स्टीरोइड आदि का सेवन करने लग गए थे।

आज हो रही मौतों को सीधे वैक्सीन से जोड़ कर देखना या दिखाना उन्ही कम्पनियो की चाल हो सकती है। जिनके उत्पाद असल मायने में साइलेंट हार्ट अटैक के मुख्य कारक है।
अफवाओं के इस दौर में भी कुछ जगह सच्चाइयां दबी रहती है। आवश्यकता है सिर्फ एक गंभीर प्रयास की ताकि असल सच्चाई सामने लायी जा सके। भले ही दुनियाँ को न सही लेकिन आप तक तो रहे।

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