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मीट उद्योग का काला सच
जानने का अधिकार : कौन छुपा रहा
भारत में मीट उद्योग का नाम सुनते ही हमारे मन में एक धर्म विशेष या कुछ जाति विशेष का ध्यान आ जाता है। भारत में अंग्रेजी हुकूमत के स्थापित होते ही क़त्लखाने शुरू हो गए।विश्वभर में शुरूवात में इन कत्लखानो से बहुत कचरा होता था। हड्डियों , आंतो ,खुर ,पंख और न खाये जाने अंगो के ढेर इन्ही कत्लखानो के आसपास गाड़ दिए जाते थे या सुनसान इलाको में फैंक दिए जाते थे। खून नालियों में बहा दिया जाता था क़त्ल किये जानवर का मांस और चमड़ा ही काम में आता था।
लेकिन अब आधुनिक युग है,मांस उद्योग तकनिकी रूप से इतना सक्षम हो चूका है की एक बाल भी फालतू नहीं फेंका जाता है। अब मांस के अलावा हर चीज से कुछ न कुछ बन ही रहा है। गौर करने वाली है की बचे कुचे कचरे से फ़ूड अवयव और दवा या दवा के काम में आने वाले केमिकल इन्ही कत्लखानो के कचरे से बनते है। ( फ़ूडमेन के स्तम्भ” घिन की भावनाओ का हनन” में विस्तार से समझे )
आपके डाइबिटीज में लगने वाला इन्सुलिन ,केप्सूल के ऊपर का खोल ,थाइराइड की गोलिया ,इसी कचरे से ही बनती है यहाँ तक की आप के हेल्थ ड्रिंक के एमिनो एसिड और केरेटिन मुर्गियों के पंख और मछली के काँटों से निकाले जाते है। बच्चो की फेवरेट जेली के लिए खाद्य जिलेटिन और चूइंगगम भी कत्लखानो के कचरे से ही बनता है।
यहाँ तक की आपके फेवरेट चिप्स या स्नेक्स को भी इसी कचरे की चर्बी को संशोधित करके आप को परोस दिया जाता है।
बात इंसानी शरीर में इसके प्रभाव या दुष्प्रभाव की नहीं है। बात हमारे देश की सभ्यता ,संस्कृती और धार्मिक भावनाओ की है।
धार्मिक ट्विस्ट
किस तरह से ये मल्टीनेशनल व्यापारी सिर्फ अपने मुनाफे के लिए हमारी भावनाओ और धार्मिक आस्थाओ को दूषित करने में लगे हये है। और इनका साथ हमारे देश के ही अधिकारी और कुछ भ्र्ष्ट नेता देते है। अंतरास्ट्रीय व्यापर संधियों की वजह से इन मीट कारोबारियों का धंधा फल फूल रहा है। कभी फ़ूड कोड के नाम कभी बिना बताये या हमारे भोजन के साथ साथ हमारे आराध्यो के प्रसाद तक को दूषित किये हुवे है।
गाय कट रही है। हिन्दू परेशान है लेकिन उसी हिन्दू को गौमांस के अंश धोखे से खिलाया जा रहा है सुवर का नाम भी न लेने वाले मुस्लिमो को सुवर की चर्बी धोखे से खान पान में मिला कर खिलाई जा रही है तो क्या अब समय नहीं आ गया है की हम अपने खाने पीने के अधिकार और अपने धार्मिक मान्यताओं से हो रहे धोखे के लिए आवाज उठाये ?
‘फ़ूडमेन’ शाकाहार और मांसाहार में किसी के भी विपक्ष में नहीं है। लेकिन हम इस पक्ष है कि जो हमें परोसा जा रहा हो जो हम खरीद कर लाये है अपना भुगतान किया है तो उसकी सच्चाई जानने का हक़ हमें हमारे हर अधिकार के तहत है। जिसके साथ खिलवाड़ करने वालो के विरुद्ध उचित कारवाही हो।