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प्रोसेस फ़ूड लेबलिंग भ्रामक। ICMR जारी की अपनी रिपोर्ट। 

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ICMR ने कई चौंका देने वाले खुलासे किये। 

हालही में ICMR (  Indian Council of Medical Research ) ने  ये माना है। की प्रोसेस फ़ूड व कॉस्मेटिक की लेबलिंग भ्रामक हो सकती है। उनमे गलत सूचनाएं हो सकती है। जो की ग्राहक को भरमा सकती है। व उसके क्रय करने या खरीदने को प्रभावित कर सकती है। 

ICMR ने अपनी रिपोर्ट में कहा है की बाजार में उपलब्ध  ग्राहकों को रिझाने के लिए अपने कई दावों को उत्पाद पर इस तरह प्रदर्शित करता है। जिससे ग्राहक उत्पाद को खरीद ले। जैसे शुगर फ्री,प्रोटीन ,या कई तरह के पोषक तत्वों या कुछ पोषक खाद्य जैसे काजू ,बटर ,बादाम आदि को उत्पाद के ऊपर प्राथमिकता दर्शाया जाता है। जबकि उनकी उपस्थिति नाम मात्र ही होती है। इन्हीं बिंदुओं को लेकर एक सर्वे में ICMR ने यह रिपोर्ट जारी की है। 

ICMR ने कई चौंका देने वाले खुलासे तो किये है। लेकिन इन खुलासों के बाद भी FSSAI द्वारा कोई सफाई या FSSAI द्वारा कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की गई। 

जबकि FSSAI  के लेबलिंग को लेकर एक सख्त कानून है व साफ साफ दिशानिर्देश है।हालही में विदेशों में भारतीय मसाला कंपनी एवरेस्ट व एमडीएच के मसालों के रिकॉल होने के बाद FSSAI की नीतियों और जिम्मेदारियों पर उंगलियां उठी। जिसे लेकर FSSAI ने आनन फानन में सभी मसाला कंपनियों के लिए जांच और सैम्पलिंग करना शुरू कर दिया। यानी के सैकड़ों चूहे खा कर बिल्ली हज जाने की इच्छा मात्र ही रखती है। 

ये मानने में कोई हर्ज नहीं की FSSAI के कानून व प्रावधान साफ साफ विदेशी व अंतरास्ट्रीय फ़ूड कानूनों की नक़ल मात्र है। फर्क सिर्फ पालना करवाने और बड़े निर्माताओं के लिए कानूनों में ढील व बचाव के प्रावधानों को कानून में शामिल करना है। 

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जैसा की आप देख सकते है की FSSAI के लेबलिंग के कानूनों के तहत किसी भी खाद्य प्रदार्थ पर जिसमे प्रिजर्वेटिव व अन्य संरक्षक पदार्थ मिले होते है उनके लिए ताजा या फ्रेस नहीं लिखा जा सकता है। तो इसके कानून से बचाव के लिए निर्माता अपने उत्पाद का नाम ही ताजा या फ्रेश मुख्य नाम के आगे पीछे लगा कर अपने उत्पाद की लेबलिंग बनाता है। जैसे किसान फ्रेश या ताजा चाय ,तथा ताजा फलों या सब्जियों को फोटो लगा कर  फोटो के नीचे या कहीं किसी कोने में सांकेतिक या प्रतीकात्मक फोटो लिख कर FSSAI के उत्पाद संबंधी भ्रामक तस्वीरों न लगाने के कानून से भी बचा जाता है। जो आप लोग कई उत्पादों विशेषकर फ्रूट ज्यूस व फलो संबंधी उत्पादों पर देखे जा सकते है।

इसी तरह किसी भी FSSAI प्रिज़र्वेटिव ,एसिड रेगुलेटर आदि उत्पाद संरक्षकों की मात्रा सीमा तय है। लेकिन ऐसे पदार्थो की संख्या कितनी होनी चाहिए यह तय नहीं है। यानि की किसी एक  प्रिज़र्वेटिव की मात्रा तो तय है लेकिन कितने तरह के प्रिजर्वेटिव उपयोग किये जा सकते है। यह तय नहीं है। ऐसे खाद्य पदार्थों के सेवन की सीमा भी तय होती है। जो की उत्पाद के लेबलिंग पर  एक सर्विंग की मात्रा में दर्शाया जाता है। लेकिन बड़ी ही चालाकी से उसी के साथ 100 ग्राम की न्यूट्रिशनल इन्फॉर्मेशन के  साथ दर्शा कर भ्रमित कर दिया जाता है। 

इन लेबलिंग छलावरण को लेकर फ़ूडमेन प्रखरता व प्रमुखता से अपने पाठको को बताता आया है। अब ICMR ने भी इन्ही फ़ूड प्रोडक्ट की लेबलिंग में भ्रामकता और पर्देदारी को लेकर अपनी राय  प्रकट की है। हालाँकि FSSAI ने इसको लेकर कोई जवाब नहीं दिया है। भविष्य में आने वाली केंद्र सरकार की और ही देखा जा सकता है। 

वैसे सोचने की बात है। आज हर घर में जीवनशैली सम्बन्धी रोगो के रोगी मिल जाते है। जिनके रोगो का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रोसेस फ़ूड से सम्बन्ध है। व हजारो रूपए की दवा आज हर घर के राशन की लायी जाती है। फिर भी जनता का ध्यान पैकेज प्रोसेस फ़ूड व फ़ूड सेफ्टी की तरफ शून्य है।

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