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घिन आने की भावनाओ का हनन भाग -3
हमने हमेशा से ही कहा है की भारत भावनाओं और खासकर धार्मिक भावनाओं का देश है। किसी भी कम्पनी को भारतीय संविधान और धार्मिक भावनाओं को आहत करने का अधिकार नहीं है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने भी साफ साफ बताया है की किसी भी उत्पाद में जो भी मिलाया गया हो उसे लेवल पर छापना अनिवार्य है। फिर भी फ़ूड कोड और फ़ूड श्रेणी के नाम पर हम भारतीयों की धार्मिक भावनाओ के साथ खेल होता रहा है। आज हम बात करेंगे कुछ और फ़ूड अवयव के बारे में जो संभवतः हम खाना पसंद नहीं करेंगे लेकिन वो प्रोसेस फ़ूड उत्पादों में मौजूद है।
लार्ड (Lard ) यानि सुवर की चर्बी – लार्ड आयात करने में भारत 72वे स्थान पर है लार्ड का उपयोग फ्राई और बेकरी उत्पादों में किया जाता है जैसे चिप्स ,बिस्किट इत्यादि में।
लेकिन भारतीय जनमानस की धार्मिक मानसिकता को लेकर या तो इसे उत्पाद पर लिखा ही नहीं जाता या फिर फ़ूड कोड ( E कोड ) में इसे लिख दिया जाता है। इसी लार्ड में डाईसेटिल ( Diacetyl) मिला के नकली बटर बाजारों में बेचा जाता है डाईसेटिल एक रसायन हे जिसकी महक हूबहू बटर जैसी होती है। चुपचाप से इसे घी जैसे उत्पादों में भी लार्ड और डाईसेटिल मिला कर बेच दिया जाता है।
कुछ जगह इसे एनिमल फेट भी कहा जाता है जो नहाने की साबुन और कॉस्मेटिक में मिलाया जाता है।
टेलो ( Tallow ) यानी गाय या भैंस या बकरी की चर्बी इसका इस्तेमाल भी उपरोक्त सभी वस्तुओं में होता है। साथ ही नकली दूध ,पनीर आदी में भी इनका उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है।
Lard /Tallow का उपयोग वसा के वैकल्पिक रूप में चलन खाद्य पदार्थों में विकसित देशों में आम बात है।
प्रोसेस फ़ूड इंडस्ट्री हमेशा से ही एक आडम्बर बना के रखती है क्यों की उपरोक्त सभी प्रदार्थो के वनस्पतिय स्रोत भी होते है लेकिन ये स्रोत महंगे होते है इनकी उम्र भी कम होती