कंज्यूमर कार्नर
खाद्य कट्टरता
कट्टरता से हमारे देश का नाता बहुत पुराना है और राजनीति का एक असरदार औजार भी है।
लेकिन हम भोजन को लेकर भी कितने कट्टर है। इसको भी जानना जरूरी भी है और मजेदार भी।
क्या कभी आपने मीठे आलू के चिप्स खाये है ? या फिर आपने लाल मिर्च युक्त आईसक्रीम खाई है।
आप ने नर्म ब्रेड और कड़क टोस्ट खाये होंगे लेकिन क्या आपने कभी ब्रेड की तरह नरम बिस्कुट खाया है।
मीठे चावल भारतीय संस्कृती में कई जगह प्ररम्परिक पकवान है लेकिन खीर की तरह कितने लोगो को मीठे चावल फेवरेट है या मीठी खिचड़ी।
खाद्य कट्टरता से हमारा मतलब नॉनवेज और वेज से तो है ही लेकिन कुछ और भी जगह है। जहां हम स्वाभाविक और वैश्विक रूप से खाद्य कट्टरपंथ को महसूस कर सकते है ?
राजस्थान में मीठे दलिये को लापसी कहा जाता है और हर शुभ मुहूर्त पर इसको भी बनाया जाता है। लेकिन लापसी का रेडीमेड विकल्प नहीं है। रोटी के साथ चटनी की आइसक्रीम या पनीर की सब्जी को चिल्ड करके किसी ने बेचा है ? हमें ठन्डे दहीबड़े पसंद हो सकते है लेकिन दहीबड़े की आइसक्रीम ?हमें अधिकतर नमकीन भोजन गर्म और अधिकतर ठन्डे में मीठा पसंद होता है
गुड़ या शकर के पकोड़ो को गुलगुले कहते है लेकिन बाजार में बिकते नहीं है।
मीठी चटनी हो सकती है लेकिन मीठी लोकी या भिंडी की सब्जी किसी ने खाई हे क्या। जलजीरा ही ऐसी कोल्ड ड्रिंक हे जिसमे आप मिर्च का स्वाद ले सकते है।
या फिर गोलगप्पे का पानी या कांजी बड़े का पानी को एक अपवाद में सकते है।
रायता मसाला बिकता है लेकिन रेडीमेड रायता होटलो और ढाबो पर ही मिलेगा ना की डेयरी प्रोडक्ट की दुकान पर
हम मनुष्य हर भोजन के फ्लेवर को लेकर एक सी सोच व स्वाद के साथ विकसित हुये है। मीठे और नमकीन के स्वाद के साथ साथ स्वाद की वस्तुओ को लेकर हमारी प्रवर्ति एक सामान ही है इसके साथ थोड़ा सा हेर फेर हमारा नजरिया और स्वाद को लेकर आकर्षण को भंग और विपरीत कर देता है।
ये खाद्य कट्टरवाद इतना हावी होता है की किसी दूसरे को विपरीत खाना खाते देख उसे अजीब या पहली फुर्सत में ही उसको पागल कह दिया जाता है। इसका एक विशेष कारण हमारा क्रमिक विकास और भोजन के स्त्रोत भी है चीनी का आकर्षण जरूर है लेकिन एक सीमा के बाद हाथ खड़े हो जाते है।
हम फल भर पेट खा सकते है क्यों की वो प्राकृतिक मिठास फ़्रूटोस की वजह से मीठे होते है और मनुष्य अपने प्रारम्भ से खाता रहा है। लेकिन मिठाई से पेट भर पाना हर किसी के लिए आसान नहीं होता है। नमक को लेकर भी एक आकर्षण है नमक युक्त भोजन हम भर पेट और बार बार खा सकते है। यही एक बड़ा कारण है की प्रोसेस फ़ूड इंडस्ट्री में हर मीठी चीज के साथ नमक जरूर होता है। उसका स्वाद आप महसूस नहीं करते लेकिन वो होता है। ( नमक का नशा लेख में नमक के बारे में और पढ़े )
हम अक्सर पीने में मीठा और खाने में नमकीन ज्यादातर स्वाभाविक प्राथमिकता देते है। हर खाने पीने की वस्तु का स्वाद तय है। और जब भी किसी ने इसको बदलने की कोशिश की है। वो कभी सफल नहीं हुवे। यही खाद्य कट्टरवाद है।