फ़ूड लेबल : इ कोडिंग के सच
फ़ूड ब्लीचिंग एजेंट ,धवलीकारक ( भाग 3 )
फ़ूडमेन हमेशा से घरेलु आटा चक्की या मोहल्ले के आटा चक्की की वकालत इसीलिए करता है।
गेहूं साफ़ कर के भले ही गेहूं की किस्म और गुणवक्ता में कोई खास परिवर्तन तो नहीं आएगा लेकिन इतनी मिलावट और रसायनो में से कुछ से तो बचा ही जा सकता है।
धवलीकारक या सफेदी तत्वों के बारे में हम पिछले 2 लेखो से लगातार जानकारी दी गई है। जिसमे अभी तक आटा (पावडर ) को सफ़ेद करने के तत्व जो की आटा सूजी मैदा पनीर व दही को सफ़ेद करके के काम में लिए जाते है उनका जिक्र किया गया है।
इस सीरीज में बेंज़ोयल पेरोक्साइड ( Benzoyal Peroxide/Orgenic Peroxide ) E -928 तथा पोटैशियम ब्रोमेट ( Potassium Bromate) E -924 के बारे में बता चुके है जो सर्वाधिक काम में लिए जाते है।
इसके अलावा पीसे हुये आटे और बेकरी उद्योग में काम आने वाले धवलीकारक व गुंथे आटे यानी डोव को व बेकरी उत्पादों के रूप को संसाधित करने के लिए निम्न रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है
कैल्शियम पेरोक्साइड (Calcium Peroxide E-930) को आटे के धवलीकरण व बेकरी उत्पादों में डोव कंडीशनर के रूप में भी काम लिया जाता है जिसकी तय मानक आधार 75 पीपीएम तक की है।इसकी अधिकता से अस्थमा ,त्वचा की एलर्जी ,व पाचन तंत्र के विकार उत्पन्न होते है।
क्लोरीन (Chlorine E-925 )क्लोरीन डाइऑक्साइड (Chlorine dioxide E-926) क्लोरीन का उपयोग पानी को साफ करने व कीटाणु मुक्त करने के लिए किया जाता है। क्लोरीन एक धवलक भी है जिसका इस्तेमाल कपड़ा उद्योग में भी किया जाता है। इसका उपयोग आटे ,मैदा ,सूजी ,साबुत दाना ,पनीर अदि में भी किया जाता है ,इसकी अधिकता से रक्तचाप बढ़ जाता है। सोडियम क्लोराइड यानी नमक क्लोरीन का ही एक योगिक है। रक्तचाप या ब्लड प्रेशर बढ़ने पर चिकित्सक नमक कम करने के लिए कहता है। ऐसे में क्लोरीन युक्त आटा मरीज के लिए कितना घातक हो सकता है। इसकी कल्पना ही की जा सकती है
अज़ोड़िकार्बोनामाइड ,(Azodicarbonamide E -927a) अज़ोड़िकार्बोनामाइड को प्रदार्थ को फुलाने के काम में लिया जाता है। इसे योगा मेट एजेंट भी कहते है। इसका उपयोग भी धवलक के रूप में व गुंथे आटे के डोव को फुलाने के काम में लिया जाता है ,इसलिए इसका सर्वाधिक उपयोग बर्गर ,पिज्जा ,ब्रेड व बेकरी उधोग में लिया जाता है। इसके कई देशों ने नकारात्मक प्रभाव को देखते हुए प्रतिबंधित किया हुया है। भारत में इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।
भारतीय पीसे पिसाये आटे की गुणवत्ता हमेशा से हाशिये पर रही है। नैतिकता और मानवता से विपरीत आटे को दूध जैसा सफ़ेद बनाने के तत्व मिला कर बेचा जा रहा है।