कंज्यूमर कार्नर
फैंसी फ़ूड और उसके उपभोक्ता : सोशल मीडिया बना प्रायोगिक भोंपू
खाने पीने के साथ प्रयोग और फैंसी फ़ूड और फ़ूड ब्लॉगर ने सोशल मिडिया पर ग़दर मचा रखा है।
मरिंडा कोल्ड ड्रिंक का रसगुल्ला , आइसक्रीम के पकोड़े ,ओरियो बिस्किट के पकोड़े ,मैगी के पकोड़े , गुलाब जामुन के पकोड़े मतलब ये की बेसन के घोल में कुछ भी डाल कर तेल में तल दो और तैयार है फैशन फ़ूड।
एक मीम है। “कौन है लोग कहाँ से आते है” को ध्यान में रखिये। फूहड़ता हमेशा दुसरो की ही बुरी लगती है। आज के दौर में कुछ नया या अपने को मॉर्डन दिखने के चक्कर में फैशन की फूहड़ता तो इतनी भयंकर रूप से हावी है की प्रश्न तो दूर की बात है एक चू कोई कर दे तो उसको महिला विरोधी ,गंवार ,देहाती ,अनपढ़ ,जाहिल जितना आप सोच सकते है वहां तक लताड़ दिया जाता है।
आज कल अपनी सोच की चलन से चलने का चलन है चाहे वो चलन में हो या न हो चलन वही जो चलन में आ जाये आपको समझ में आये तो ठीक नहीं तो भाड़ नामक कथा कथित जगह भी है जहाँ में दोस्तों।
ट्रेंड चलन कपडे ओढ़ने ढकने दिखाने तक तो ठीक है, सह लेंगे। लेकिन खाद्य में में फूहड़ता। टेस्ट और स्वाद के चक्कर में कुछ भी बना के कुछ भी परोस दिया है। फैशन फ़ूड के नाम पर बेमेल, बेतुकी और बकवास किसी नासमझ बच्चे की इच्छाओ को साकार कर के रख दिया गया हो जैसे प्रयोग किये जा रहे है।
एक दूसरे से विपरीत खाद्य या बिलकुल ही निषेध तत्वों को मिला कर कुछ भी बना कर परोसा जा रहा है। कही गोलपप्पो के साथ प्रयोग हो रहे है तो कही रंग बिरंगे चावल खाद्य रंग, महक और कृत्रिम स्वाद से ओतप्रोत ये डिजाइनर फेंसी फ़ूड बीमारियों का खुल्ला निमंत्रण है। लेकिन मजे की बात ये है की ये सब बिक भी रहा है। एक बहुत बड़ी तादाद में इनके उपभोक्ता है। अगर नहीं होते तो ये बनाये ही क्यों जाते ? बच्चे और नौजवान की एक बड़ी तादाद विशेषकर शहरो में इनके उपभोक्ता है। और खाने के मामले में इस तादाद का विवेक एक अलग ही आयाम में रहता है। लोकडाउन के दौरान एक ऐसे ही युवा ने अमेजॉन से डंग केक (Dung cake ) यानी गोबर के उपले का आर्डर दिया और फिर उसको खाया और उसका रिव्यू और कमेंट भी किया की इस डंग केक का स्वाद बहुत ही बुरा है और इसमें बहुत बदबू और मिटटी थी।
खैर हम तो बड़ा वाला थम्प अप दे देते हैं ,हमें क्या जो ज़माने को अच्छा लगे वो करे।