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डिलीवरी ड्रोन -एक सपना जो कभी भी सच हो सकता है।
दिल्ली के प्रगति मैदान में 27,28 मई को ड्रोन महोत्सव मनाया गया। खुद प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ड्रोन को रिमोट से उड़ा कर ड्रोन का संचालन किया। तथा देश को सम्बोधित कर बोले” मेरा सपना है की हर खेत पर एक ड्रोन हो”। ड्रोन महोत्सव में भविष्य में ड्रोन टेक्नोलोजी के प्रोटोकॉल और लोगों में ड्रोन को लेकर जिज्ञासा प्रोत्साहन देना था। जिससे भविष्य में ड्रोन डिलीवरी का सपना अब सच के करीब करीब आ ही गया है।
ड्रोन डिलीवरी सुनने में बहुत ही रोमांचकारी और टेक्नोलॉजी के भविष्य मुखी होने के संकेत है।
लेकिन क्या भारत तैयार है ड्रोन क्रांति के लिए ? क्या क्या विषमताएं आएगी, क्या क्या चुनौतियां होगी ? और क्या खतरे होंगे ? इन पर भी एक बार विचार कर लेना चाहिए।
आज विश्व के अलग अलग देशों में डिलीवरी ड्रोन को लेकर अलग अलग ट्रायल चल रहे है। कुछ तो शुरू भी हो गए है। ऑनलाइन शॉपिंग एप्प अमेज़न ने केम्ब्रिज में 2016 अमेजॉन प्राइम एयर लॉन्च कर दिया था। कई बड़े स्टर्ट अप डिलीवरी ड्रोन पर निवेश भी कर रहे है।
कोविड महामारी के दौरान ही आई.सी.एम.आर ने ड्रोन आधारित वेक्सीन डिलीवरी मॉडल लांच कर दिया था। दक्षिण एशिया में पहली बार मेक इन इंडिया ड्रोन से मणिपुर के बिष्णुपुर जिले अस्पताल से करंग द्वीप पर वैक्सीन की डिलीवरी दी गई थी।
आपातकालीन स्थिति में बात अलग होती है। सपने तो फ़ूड डिलीवरी के भी दिखाई देने लगे है। फूडपांडा का पाइलेट प्रोजेक्ट सिंगापूर में ,तो पाकिस्तान में स्टार सिम्पसन फ़ूड डिलीवरी के प्रोटोटाइप पर काम कर रहा है। अभी 29 मई में पाकिस्तान बॉर्डर से आये दो ड्रोन को सुरक्षाबलों ने मार गिराया जिसमे मैग्नेटिक बम चिपके मिले थे।
तकनीक की यही विडम्बना है की हमेशा सही हाथो में रहे ये जरुरी नहीं है।
बरहाल बात भारत में डिलीवरी ड्रोन की करे तो फ़ूड डिलवरी एप्प तो बेकरार है कब भारत सरकार उनके हाथ में ड्रोन का रिमोट दे। लेकिन भारत में ड्रोन के लिए विसंतियो पर भी ध्यान देना होगा।
भारत में हवा कब झोके से आंधी में बदल जाती है। ये पता कर पाना आसान नहीं है और विशेष कर ड्रोन के लिए ड्रोन इतने भारी और ताकतवर नहीं होते की हवा के तेज झोंको को सह सके। साथ ही ड्रोन उड़ने के लिए सरकार को अलग से हवाई मार्ग बनाना होगा ताकि ड्रोन आपस में न भिड़ जाये या ईमारत से न टकरा जाये।
साथ ही इन ड्रोन को पक्षियों से भी बचाना और बचना भी होगा। डिलीवरी ड्रोन को असामाजिक कार्यो जैसे तस्करी, जासूसी आदि में भी दुरूपयोग होगा। तो सरकार इसके लिए ड्रोन पुलिसिंग भी करनी पड़ेगी। ड्रोन पुलिसिंग केंद्र या राज्य के हिस्से में आ सकती है। तकनीक की और मुँह करके चलना विकास की और अग्रसर होने जैसा है लेकिन जिधर की सड़के ठीक न हो वह मुँह उठा कर चलना समझदारी नहीं होगी। फ़िलहाल डिलीवरी ड्रोन और फ़ूड डिलीवरी ड्रोन अब दूर की कौड़ी नहीं रही है।