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डब्बा बंद फलो का रस लाभकारी या जानलेवा

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FDA  ने जारी की डब्बा बंद ज्यूस के लिए दिशानिर्देश 

आजकल हम लोग  कोल्ड ड्रिंक को बच्चो से दूर रखने के प्रयास में अक्सर बच्चो को फलो का रस व टेट्रा पैक या प्लास्टिक की बोतल बंद फलो का रस पीला देते है। लेकिन क्या डब्बा बंद फलो का रस आपके लिए या आपके बच्चो के लिए  सुरक्षित है। बोर्नविटा के वाइरल वीडियो के बाद से अभिभावकों में चीनी और एडेड शुगर को लेकर सावधानी बढ़ी है। लेकिन फ्रूट ज्यूस में कितना फ्रूट होता है,उस पर भी ध्यान देने की जरुरत है। तथा फ्रूट जूस में कितना फ्लेवर और फ़ूड कलर है इस पर भी गौर करना चाहिए। 

हालही में 2 जून को  अमेरिका की खाद्य सुरक्षा एजेंसी FDA ने सेब के रस में आर्सेनिक की मात्रा को लेकर नए नियमो को जारी किया है। हालांकि यह नियम 10 साल पहले बन गए थे। लेकिन दुनिया का सबसे शक्तिशाली लोकतंत्र में पूंजीवाद और पूंजीवादी लोगो के दबाव की वजह से यह नियम अब तक जारी नहीं हुवे।जब अमेरिका जैसे देश की यह हालत है तो भारत के सन्दर्भ में ऐसे नियमों को जारी करने की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। 

FDA ने जारी दिशानिर्देशों में साफ किया की सेब के रस व अन्य प्रकार के फ्रूट ज्यूस  में अकार्बनिक आर्सेनिक की मात्रा 10 पीपीबी (पार्टिकल पर बिलियन) से कम करके इसे 3 से 5 पीपीबी तक लाना होगा। 10 पीपीबी या उससे अधिक अकार्बनिक आर्सेनिक को मिलावट व इंसानो के लिए अयोग्य माना जायेगा। 

कई वर्षो की कंस्यूमर रिपोर्ट के मुताबिक फलो के रस में कैडमियम ,अकार्बनिक आर्सेनिक व शीशा पाया गया है। जो संभवतः कीटनाशकों के प्रयोग और ज्यूस प्लांट रस निकालने की प्रक्रिया  में व  फिल्ट्रिंग ऐड के दौरान फलो के रस में आ जाते है। तथा इनको कम किया जा सकता है। 

अकार्बनिक आर्सेनिक से छोटे बच्चो के विकास में दिक्कते आती है व उनके मस्तिष्क व तंत्रिका  तंत्र पर बुरा असर पड़ता है। साथ ही गर्भवती महिलाओ के फलो के डब्बा बंद रस से गर्भ में पल रहे बच्चे के मस्तिष्क विकास और तंत्रिका तंत्र पर नकारात्मक  असर हो सकता है। 

FDA ने यह नियम फलो का ज्यूस बेचने वाली कम्पनी और कॉर्पोरेट के भारी विरोध के बावजूद लिया है। 

भारत में ऐसे नियमों का लागू होना तो दूर ऐसे नियमो को जनता में चर्चा में ही नहीं किया जाता है।  लगभग सबकी सोच में “आजकल यही होता है ,कहां कहां ध्यान रखे ” जैसे ही संवाद है। 

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भारत में खाद्य सुरक्षा के बारे में खुद जनता ही बात नहीं करना चाहती तो राजनीती व राजनेता भी इससे दूर ही रहते है। धर्म जात और विचार धाराओं की नूरा कुश्ती में व्यस्त जनता ने बड़े बड़े कॉर्पोरेट घरानो को खुल्ला छोड़ा हुवा है की वो हमारे खान पान के साथ जो मर्जी आये करते जाये। आपकी आपके अपनों की जान हमेशा गैरजिम्मेदारी में ही रहती है। याद रहे आपका दर्द आपको ही समझना होगा। 

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