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बच्चों के स्वास्थ्य के दुश्मन ; फ़ूड माफिया

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आजकल बड़े  शहरो की छोटी दुकानों और गावो कस्बो की दुकानों पर बच्चो  की पसंद के खाने पीने की चीजे उन्ही के पसंद के कार्टून किरदारों  की तस्वीर के साथ बिकते देखा जाना आम हो गया है। छोटे छोटे बच्चो को उनके पसंद के छोटे छोटे खिलोनो को  भर कर  कुछ भी बेच दिया जा रहा है। रंग बिरंगे बच्चो के मनपसंद किरदारों के चमकीले पैकेट्स पर सूचनाओं का जबरदस्त अभाव है कौन बना रहा है कहाँ  बना रहा है। उत्पाद में क्या क्या मिलाया जा रहा है कुछ पता ही नहीं चलता है।
बच्चे राष्ट्र की धरोहर है और एक परिवार का भविष्य इससे कोई फर्क नहीं पड़ता के वो गरीबके बच्चे  हो या आमिर के बच्चे हो। नाम और उस पर फोटो इतना चर्चित होता है कि ये सीधे सीधे टीवी सीरियल या पात्रों के नाम का ही उपयोग कर लेते हैं।   हालाँकि इन फर्जी उत्पादों का शिकार सीधे तौर पर गरीब और ग्रामीण या झुगी बस्तियों के बच्चे ही होते है या फिर स्कूल के पास लगने वाले ठेले या दुकानों पर इनको बेचा जाता है जिससे हर वर्ग के बच्चे इसकी चपेट में आ जाते है।
फ़ूडमेन ने भी सरसरी तौर पर तफ्तीश की है
  •  लेकिन ऐसे उत्पाद पर लिखे गए कस्टमर केयर के फोन नंबर या तो गलत थे या सही आदमी के थे ही नहीं।
  •  यहाँ तक की उत्पाद की पेकिंग पर पता भी ऐसा लिखा है , जिसमे सिर्फ राज्य का ही नाम है या जिले का नाम है।
  • कुछ ब्रांडेड उत्पादों की भी सस्ती नक़ल में सिर्फ नाम ही अलग पाए गए।
  •  इन उत्पादों के कोई आधिकारिक डिस्टीब्यूटर नहीं होते।
  •  और न ही इनके लेन देन के लिए पक्के बिलो का उपयोग होता है।
  • एक राज्य में ये दूसरे राज्य के निर्माता का पता होता है।
लेकिन इनका नेटवर्क बहुत व्यापक होता है।  गहन छान बिन करने पर ये भी पता चला के ये उत्पाद बनते और पैक भी स्थानीय इलाको में ही होते हे बस इनकी पेकिंग पर ही दूसरे राज्यों का नाम पता होता है ये उत्पाद भारतीय खाद सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI )के हर नियम कानून की धज्जिया उड़ाए हुये  बेधड़क अपना काम कर रहे है।  अब  तक तो इन उत्पादों या निर्माताओं पर किसी का ध्यान भी नहीं गया है।
मात्र अपने मुनाफे के लिए गरीब छोटे बच्चो का स्वास्थय ताक़ पर रख कर अगर अवैध व्यापर किया जा रहा है।

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