फ़ूड लेबल : इ कोडिंग के सच
विटामिन सी-
एक बहुत ही ताकतवर एंटीऑक्सीडेंट ।
विटामिन सी एक बहुत ही ताकतवर एंटीऑक्सीडेंट है। विटामिन सी हमें लगभग हर तरह के फल और सब्जियों थोड़े से लेकर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। शरीर में चय अपचय व कोशिका निर्माण में एक बहुत जरुरी तत्व है। विशेषकर हमारी सफ़ेद रक्त कणिकाओं के लिए जो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाये रखती है। यही कारण है की आम जुखाम में इसको लिया जाता है।
कोविड 19 महामारी काल में भी विटामिन सी की खपत दोगुने से ज्यादा हो गई थी। हालांकि विटामिन सी सहायक तत्व है, मुख्य औषधि नहीं है। विटामिन सी कृत्रिम रूप से बनाया जाता है। जिसका अधिकतर उपयोग प्रोसेस फ़ूड इंडस्ट्री में एंटीऑक्सीडेंट व एसिड रेगुलेटर के रूप में किया जाता है। विटामिन सी या एस्कोर्बिक एसिड के और भी योजक हे जो अलग अलग उत्पादों में किया जाता है।
एस्कोर्बेट E -300 एंटीऑक्सीडेंट के रूप में या E -200 प्रिजर्वेटिव दोनों रूपों में लिखा जाता है। ऐसे ही सोडियम एस्कॉर्बेट को E -301 ,E -201 , कैल्शियम एस्कोर्बेट E -302 E -202 ,पोटेशियम एस्कोर्बेट E -303, E -203 , एस्कोर्बील पालमीटेट E -304 E -204, एस्कोर्बी स्टीरेट E -305 E-205 आदि खाद्य अवयव विटामिन सी के ही योजक है।
सबसे ज्यादा विवादित एस्कॉर्बिक स्टीरेट और स्कोर्बिल पालमीटेट है। क्यों की विटामिन सी को वसा में घुलने के लिए इसको वसा से ही बनाया जाता है। वसा वनस्पति और जंतु आधारित हो सकती है। वही जंतु आधारित वसा वनस्पती वसा से सस्ता भी होता है। इसका उपयोग दही, योगर्ट, मार्जरीन, फ्लेवर्ड छाछ, फलो के रस और हेल्थ ड्रिंक ,कोल्ड ड्रिंक में होता है।
रासायनिक विटामिन सी की अधिकता से पेट व पाचन संबंधी बीमारियां और चर्म रोग और एलर्जी आदी हो सकती है। यूरोप में खाद्य अवयव यूरोप के स्थानीय धर्म व मान्यताओं के आधार पर तय होते है। लेकिन यूरोप की मान्यता भारत सहित अन्य महाद्वीपों और देशों में मान्य हो ये जरुरी नहीं है। बहुराष्ट्रीय खाद्य कम्पनीज अंतरास्ट्रीय संधियों और सौदों की आड़ में हमारी खान पान की संस्कृतियों की मान्यताओं का साथ खिलवाड़ करती आ रही है। दूसरी और छोटे छोटे अध्ययन स्टडी के नाम पर देश के चिकित्सको और पोषण विशेषज्ञों को भ्रमित करके सिर्फ मोटा मुनाफा कमाया जा रहा है।