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दिल “अफजा ” पर रूह “अफजा ” की जीत
शरबत के जाने माने ब्रांड “रूह अफजा ” और उसी के नाम से मिलता जुलता “दिल अफजा ” का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। जिस पर जिरह के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का फैसला में बिना किसी परिवर्तन के बरक़रार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को सही माना
मामला समझे
हमदर्द फार्मेसी 1907 से रूह अफजा नाम से शरबत बना कर बेच रही है। एक शतक से भी पुराने ब्रांड की भारतीयों में लोकप्रियता बनी हुई है व विदेशो तक में हमदर्द रूह अफजा की मांग है। वही दिल अफजा नाम से शरबत बनाने वाली कम्पनी सदर लेबोरेट्रीज ने 2020 से बेचना शुरू किया है। जिसको लेकर हमदर्द फार्मेसी को आपत्ति हुई और उसने सदर लेबोरेट्रीज पर नक़ल करने और हमदर्द फार्मेसी के रूह अफजा की बिक्री पर असर डालने को लेकर हाईकोर्ट में मुकदमा दायर किया। उधर सदर लैबोरेट्रीज का कहना था की वो 1976 से ही दिल अफजा नाम से दवा बना रही है अब शरबत का नाम दिल अफजा रखने से उसे नहीं रोका जाना चाहिए।
हालांकि हाईकोर्ट के दो जजों की बेंच में हुई बहस और जिरह के बाद हाई कोर्ट ने हमदर्द फार्मेसी के पक्ष में फैसला दिया।इससे पूर्व हाईकोर्ट की ही सिंगल बेंच दिल अफजा के पक्ष में फैसला दिया था। जिसे हाईकोर्ट की डबल बेंच ने पलटते हुवे फैसला रूह अफ्जा के पक्ष में लेते हुए सदर लैबोरेट्रीज को दिल अफ्जा नाम के साथ शरबत के उत्पादन और विपणन पर रोक लगा दी थी। फैसले से असंतुष्ट सदर लैबोरेट्रीज ने सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी।
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने मामला सुना। तीन जज, चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ,जस्टिस पि एस नरसिम्हा और जे बी पारडीवाला ने दोनों शरबत की बोतल का मुआयना किया तथा कहा की हाईकोर्ट के फैसले में कोई कमी नजर नहीं आती है। अतः हाईकोर्ट के आदेशों को बरक़रार रखते हुवे सदर लेबोरेट्रीज के दिल अफजा नाम से शरबत की बिक्री व उत्पादन पर रोक बरक़रार रखी गई है।