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नकली बीमारियों का गोरख धंधा

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क्या आपको मर्दाना कमजोरी है। आप अपने साथी को संतुष्ट कर नहीं पाते। क्या आप मोटे है ? पतले है।यो वो नकली बीमारियां  है जो की आपका ध्यान खींचने और आपको बीमार बनाने के लिए आपको सुनाई दिखाई जाती है।
सुनने में अजीब लगेगा की बीमारिया भी नकली होती है।या हो सकती है।लेकिन यह आज के दौर की कड़वी सच्चाई है। की नकली बीमारियों का धंधा पुरे शोरगुल के साथ धड्ड्ले से हो रहा है।आप टीवी पर या अपने मोबाइल की सोशल मिडिया या अख़बार के जरिये फैटी लिवर ,मधुमेह ,बीपी ,मर्दाना कमजोरी ,किडनी की बीमारी ,आंतो की बीमारी ,दुबलापन या मोटापे के लक्षणों और निदानो के बारे में सुना देखा या पढ़ा होगा। इसी को मार्केटिंग की भाषा में फिशिंग (मछली फ़साना )कहते है। जो की आपने कई बार निजी अस्पतालों और डॉक्टरों के केबिन के बाहर भी रोग और रोग संबंधी लक्षणों की जानकारी देखी होगी।

आज के दौर में मार्केटिंग इतनी ज्यादा हावी हो गई है। की सरकार द्वारा विज्ञापनों के लिए  बनाये गए नियम और कानूनों की सरेआम बखियाँ उधेड़ दी जाती है।और  लोगो की मानसिकता से खेल करके उनको मरीज बनाया जा रहा है। जहां पहले स्वाभाविक मनोविकार वाली बीमारियों के लिए मनोरोग विशेषज्ञों का प्रावधान हुवा करता था। वही अब उन्ही स्वाभाविक मनोविकारों को उत्पन्न करने के लिए पैसा और दिमाग लगाया जा रहा है।लोग खुद से ही खुद को किसी बीमारी का रोगी समझने लगते है। जो की अधिकतर खान पान में हुई गड़बड़ियों से होती है।और कुछ मिनट या घंटो की शारीरिक परिस्थिति को लेब टेस्ट के नतीजों से मिलान करके उसे  बीमारी का नाम दे दिया जाता है और फिर उस बीमारी को ठीक करने के प्रयासों में आम आदमी पीसता रहता है।और वो और बीमारियों से घिर जाता है

खाने पीने से हुवे कुछ देर की परिस्थिति में जैसे अधिक मैदे के सेवन से (पिज्जा बर्गर ,भटूरे नान )के कारण शरीर में ग्लूकोस की मात्रा बढ़ जाती है। जिसे लेब टेस्ट में मधुमेह के लक्षणों से मिलान करवा कर इसे बीमारी में परिवर्तित कर दिया जाता है।ठीक ऐसे ही खाने से सोडियम की मात्रा बढ़ने से रक्तदाब में बढ़ोतरी हो जाती है जिसे बीपी की बीमारी घोषित कर दिया  है। ठीक ऐसे ही भ्रामक मीडिया से किसी को मर्दाना कमजोरी या शारीरिक दुर्बलता और मोटापे में बीमारियां ढूंढ ढूंढ कर आपको रोगी बनाने का प्रयास किया जाता है। इन शारीरिक अवस्थाओं का सबसे ज्यादा फायदा तथाकथित आयुर्वेद व आयुर्वेद की दवाएं बनाने वाले उठाते है।

इससे बचने का सबसे सरल तरीका ऐसे किसी भी विज्ञापन पर या सोशल मीडिया के वीडियो का भरोसा बिलकुल भी न करे।भ्रामक विज्ञापनों की शिकायत सरकार द्वारा स्थापित एजेंसियों को करे। और अगर आप ऐसे किसी भी ठगी का शिकार हुवे है तो अपना मुकदमा जरूर दर्ज करवायें। इसकी परवाह न करे की बात कुछ सौ रुपयों की है। आपके द्वारा उठाया एक कदम ऐसे हजारो दुकानों को बंद करवा सकता है।

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